मार्च की एक गर्म शाम इंदौर के होलकर स्टेडियम में गहमागहमी थी। लेकिन मैदान पर न तो मुंबई इंडियंस थे, न चेन्नई सुपर किंग्स। यहाँ भिड़ रही थीं मध्य प्रदेश प्रीमियर लीग की दो टीमें—एक ग्वालियर से और दूसरी भोपाल से। स्टैंड? खचाखच भरे हुए। झंडे लहरा रहे थे, ढोल बज रहे थे, बच्चे उन खिलाड़ियों की जर्सी पहनकर आए थे जिनके नाम शायद आप आईपीएल नीलामी सूची में भी न देखें।

यही है आज के भारतीय क्रिकेट की असली कहानी। बरसों से आईपीएल ने क्रिकेट की कल्पना पर राज किया है—चमक-दमक, अरबों डॉलर के सौदे और सितारों का मेला। लेकिन उस चमक के नीचे धीरे-धीरे कुछ और पनप रहा है: भारत की क्षेत्रीय क्रिकेट लीग्स।

ये लीग्स अभी आईपीएल जितना पैसा या मीडिया कवरेज नहीं पातीं, लेकिन खिलाड़ियों, दर्शकों और पूरे इकोसिस्टम पर इनका असर कहीं ज़्यादा गहरा हो सकता है।


आईपीएल बस शुरुआत थी

जब 2008 में आईपीएल शुरू हुआ, तो उसने सिर्फ़ क्रिकेट नहीं बदला, बल्कि भारत का खेल देखने का तरीक़ा भी बदल दिया। अचानक, स्टेडियम भरने लगे, बच्चे खिलाड़ियों की नीलामी क़ीमतें याद रखने लगे, और क्रिकेट की दुनिया में बॉलीवुड का रंग चढ़ गया।

लेकिन आईपीएल की कामयाबी ने एक सवाल भी जगाया: अगर T20 फ्रेंचाइज़ मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर सफल है, तो राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर क्यों नहीं?

राज्य क्रिकेट संघों, निजी निवेशकों और यहाँ तक कि स्थानीय नेताओं ने इसे अवसर के रूप में देखा। वे क्रिकेट की लोकप्रियता का लाभ उठाना चाहते थे—लेकिन जड़ों से जुड़े अंदाज़ में।

इसी सोच से तमिलनाडु प्रीमियर लीग (TNPL), कर्नाटक प्रीमियर लीग (KPL), झारखंड T20 लीग, उत्तर प्रदेश T20 लीग जैसी प्रतियोगिताएँ जन्मीं।


क्षेत्रीय लीग्स: सिर्फ़ नकल नहीं

इन्हें “छोटे आईपीएल” कहना आसान है। लेकिन सच यह है कि ये अपनी पहचान बना चुकी हैं।

  • प्रतिभा का मंच: क्षेत्रीय लीग्स उन खिलाड़ियों को मौका देती हैं जिन्हें आईपीएल ट्रायल तक का अवसर नहीं मिलता।
  • स्थानीय हीरो: कोयंबटूर का बच्चा विराट कोहली की बजाय दिनेश कार्तिक जैसा बनने का सपना देख सकता है—क्योंकि TNPL ने उसे अपना हीरो दिया।
  • समुदाय से जुड़ाव: आईपीएल ग्लैमरस है, लेकिन क्षेत्रीय लीग व्यक्तिगत लगती है। खिलाड़ी अक्सर दर्शकों के पड़ोसी या राज्य स्तरीय एथलीट होते हैं।
  • आर्थिक पहुँच: टिकट सस्ते हैं, मैदान पास के हैं—यही चीज़ दर्शकों को खींच लाती है।

एक क्रिकेट लेखक ने कहा था: “आईपीएल ने क्रिकेट को बिज़नेस बनाया, क्षेत्रीय लीग्स उसे फिर से समुदाय तक पहुँचा रही हैं।”


तमिलनाडु प्रीमियर लीग (TNPL): एक मिसाल

2016 में शुरू हुई TNPL ने साबित कर दिया कि यह मॉडल सफल हो सकता है।

राज्य संघ का मज़बूत समर्थन, क्रिकेट-दीवाना दर्शक और खिलाड़ियों की लंबी कतार—इन सबने इसे लोकप्रिय बना दिया। तिरुनेलवेली और डिंडीगुल जैसे छोटे शहरों में भी स्टेडियम खचाखच भर जाते हैं।

वॉशिंगटन सुंदर, वरुण चक्रवर्ती और टी. नटराजन जैसे खिलाड़ी यहीं से निकलकर आईपीएल और फिर टीम इंडिया तक पहुँचे।

शुरुआत में जिन प्रसारकों को शक था, वे अब TNPL को प्राइम टाइम में दिखाते हैं। यहाँ यह “छोटी लीग” नहीं, बल्कि अपनी लीग मानी जाती है।


तमिलनाडु से आगे: और राज्यों की कहानियाँ

  • कर्नाटक प्रीमियर लीग (KPL): विवादों के बावजूद मनीष पांडे और कृष्णप्पा गौतम जैसे खिलाड़ी इसी से निकले।
  • उत्तर प्रदेश T20 लीग: विशाल टैलेंट पूल वाले राज्य में नई उम्मीद, जहाँ से तेज़ गेंदबाज़ों की अगली खेप आ रही है।
  • झारखंड T20 लीग: धोनी के राज्य में शुरू हुई यह लीग बच्चों को सपना देती है कि “धोनी जैसा मैं भी बन सकता हूँ।”

हर लीग अपने राज्य की झलक दिखाती है—TNPL शहरी और पेशेवर, UP T20 जोशीली और कच्ची, झारखंड T20 धोनी को श्रद्धांजलि जैसी।


तालिका: भारत की प्रमुख क्षेत्रीय क्रिकेट लीग्स

लीगस्थापनाविशेषताप्रमुख खिलाड़ी
TNPL (तमिलनाडु)2016भरे हुए स्टेडियम, मज़बूत पाइपलाइनवॉशिंगटन सुंदर, नटराजन
KPL (कर्नाटक)2009शुरुआती राज्य मॉडलमनीष पांडे, गौतम
UP T20 लीग2023विशाल प्रतिभा पूलउभरते तेज़ गेंदबाज़
झारखंड T20 लीग2020धोनी की विरासत, कच्ची प्रतिभारांची के युवा खिलाड़ी

दर्शक और स्थानीय धड़कन

क्षेत्रीय लीग्स का असली आकर्षण है—दर्शक।

तमिलनाडु में लोग दो-दो घंटे सफ़र कर मैच देखने आते हैं। रांची में बच्चे चेहरों पर रंग लगाकर नारे लगाते हैं—भले धोनी खुद न खेल रहे हों।

यहाँ दर्शकों के लिए आईपीएल मनोरंजन है, लेकिन क्षेत्रीय लीग पहचान है। बाहर लगे फ़ूड स्टॉल्स, ढोल की थाप और स्थानीय नारों से यह एक त्योहार जैसा लगता है।


क्षेत्रीय क्रिकेट की अर्थव्यवस्था

भले ही इनके पास अरबों डॉलर न हों, लेकिन ये अपने स्तर पर मज़बूत इकोसिस्टम बना रही हैं।

  • प्रायोजन: स्थानीय व्यवसाय टीमें स्पॉन्सर करते हैं।
  • ब्रॉडकास्टिंग: टीवी और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग से छोटे शहरों तक पहुँच।
  • रोज़गार: ग्राउंड स्टाफ़ से लेकर स्थानीय कमेंटेटर तक, मौसमी रोज़गार मिलता है।
  • खिलाड़ियों की आमदनी: आईपीएल से बहुत कम सही, लेकिन सेमी-प्रो खिलाड़ियों के लिए जीवन बदलने वाली।

एक TNPL खिलाड़ी ने कहा था: “एक सीज़न से ही मेरी कोचिंग और किट के दो साल के ख़र्च निकल जाते हैं।”


चुनौतियाँ

सबकुछ आसान नहीं है।

  • भ्रष्टाचार: KPL पर फिक्सिंग के आरोप लगे।
  • आर्थिक स्थिरता: कुछ लीग्स को लगातार प्रायोजक नहीं मिलते।
  • प्रतिभा का पलायन: अच्छे खिलाड़ी जल्दी ही आईपीएल में चले जाते हैं।
  • मीडिया का ध्यान: राष्ट्रीय मीडिया अभी भी IPL को तरजीह देता है।

फिर भी, ये लीग्स टिक रही हैं—क्योंकि मांग जड़ों से है।


वैश्विक गूंज

भारत की क्षेत्रीय लीग्स अब विदेशों का ध्यान भी खींच रही हैं। वेस्ट इंडीज़ और साउथ अफ़्रीका ने TNPL के मॉडल का अध्ययन किया है।

यह सिर्फ़ खिलाड़ी नहीं, बल्कि संस्कृति का निर्यात है—स्थानीय गर्व के रूप में क्रिकेट।


भविष्य: आईपीएल की पाइपलाइन

2030 तक क्षेत्रीय लीग्स आईपीएल और टीम इंडिया की औपचारिक पाइपलाइन बन जाएँगी।

  • यूपी T20 का गेंदबाज़ अगले सीज़न कोहली को गेंदबाज़ी कर सकता है।
  • झारखंड का किशोर अगला धोनी हो सकता है।
  • TNPL का बल्लेबाज़ राष्ट्रीय T20 टीम का स्टार बन सकता है।

ढांचा साफ़ है: गली क्रिकेट → क्षेत्रीय लीग्स → आईपीएल → टीम इंडिया।


तालिका: भारतीय क्रिकेट का विकास ढाँचा

स्तरविवरणउदाहरण
गली क्रिकेटअनौपचारिक, स्थानीय खेलमुंबई की गलियाँ, रांची के मैदान
क्षेत्रीय लीग्ससेमी-प्रो, टीवी कवरेजTNPL, UP T20, झारखंड T20
आईपीएलराष्ट्रीय, वैश्विक फ्रेंचाइज़मुंबई इंडियंस, CSK
टीम इंडियाअंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्ववर्ल्ड कप, द्विपक्षीय सीरीज़

अंतिम सोच

आईपीएल ने भारत को वैश्विक मंच दिया। लेकिन क्षेत्रीय लीग्स क्रिकेट को लोगों तक वापस पहुँचा रही हैं।

डिंडीगुल के भरे स्टेडियमों में, लखनऊ की फ्लडलाइट्स में, रांची की धूल भरी पिचों पर—क्रिकेट आईपीएल की छाया से बाहर भी खिल रहा है।

और शायद असली क्रांति वहीं है।

क्योंकि अगला बुमराह किसी नीलामी से नहीं निकलेगा। वह पहले यूपी T20 के मैदान पर गेंदबाज़ी करेगा, पड़ोसियों की तालियों के बीच, और फिर देश को गर्व कराएगा।

तब लोग कहेंगे: “हमने उसे सबसे पहले यहाँ देखा था।”

यही है भारतीय क्रिकेट का भविष्य। आईपीएल से आगे। जड़ों से जुड़ा। क्षेत्रीय लीग्स से उठता हुआ।

By अवंती कुलकर्णी

अवंती कुलकर्णी — इंडिया लाइव की फीचर राइटर और संपादकीय प्रोड्यूसर। वह इनोवेशन और स्टार्टअप्स, फ़ाइनेंस, स्पोर्ट्स कल्चर और एडवेंचर ट्रैवल पर गहरी, मानवीय रिपोर्टिंग करती हैं। अवंती की पहचान डेटा और मैदान से जुटाई आवाज़ों को जोड़कर लंबी, पढ़ने लायक कहानियाँ लिखने में है—स्पीति की पगडंडियों से लेकर मेघालय की गुफ़ाओं और क्षेत्रीय क्रिकेट लीगों तक। बेंगलुरु में रहती हैं, हिंदी और अंग्रेज़ी—दोनों में लिखती हैं, और मानती हैं: “हेडलाइन से आगे की कहानी ही सच में मायने रखती है।”